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The village head had left the village with his family due to fear of Kusum

जानकारी देते पूर्व प्रधान के पुत्र महेश सिंह। 
– फोटो : संवाद

उरई/रामपुरा। डकैत कुसुमा नाइन विक्रम मल्लाह की मौत होने के बाद लालाराम के संपर्क में आ गई थी। इसके बाद लालाराम से भी उसकी नहीं बनी तो वह रामपुरा के जगहों में अकेले राज कर रहे दस्यु रामआसरे उर्फ फक्कड़ के संपर्क में आ गई। अब दोनों की जोड़ी ने जिले में दहशत फैलानी शुरू कर दी।

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रामपुरा थाना क्षेत्र के हुकुमपुरा गांव निवासी हाकिम सिंह वर्ष 1981 में पहली बार प्रधान बने। लेकिन आपातकाल लग जाने के बाद वह दस वर्षो तक प्रधान बने रहे। इसके बाद चुनाव की घोषणा हुई तो लोगों ने दोबारा से हाकिम सिंह को चुनाव लड़ने के लिए कहा। जब वह चुनाव में खड़े हुए तो कुसुमा ने जखेता गांव निवासी अपने समाज के एक युवक को खड़ा कर दिया और धमकी दी कि सभी उसे ही वोट दें।

इसके साथ ही हाकिम के परिवार को धमकी दी कि वह गांव छोड़ दें नहीं तो उसे जान से मार दिया जाएगा। इस पर हाकिम सिंह गांव छोड़कर उरई आ गए। लेकिन जनता ने हाकिम को प्रधान बना दिया। इस पर कुसुमा नाराज हो गई और उसने जान से मारने की धमकी दी। तब तत्कालीन डीएम दीपक कुमार ने बिल्हौड़ गांव के पास सड़क बनाने के आदेश दिए तो कुसुमा ने खबर भिजवाई कि अगर उसे काम कराने के एवज में रंगदारी नहीं दी तो वह उसे गांव में नहीं रहने देगी।

उनके पुत्र पूर्व प्रधान महेश सिंह ने बताया कि जब उनके पिता सड़क डलवा रहे थे, तो कुसुमा अपनी गैंग के साथ वहां पहुंच गई और काम बंद करने के साथ साथ सभी मजदूरों को पांच-पांच जूते मारने की सजा सुनाई। कहा कि उन्होंने उनके प्रत्याशी को वोट नहीं दिया है, यही उनकी सजा है। उनके पुत्र ने बताया कि पिता को इस कदर परेशान किया गया कि पूरा परिवार दहशत में आ गया और उन्होंने गांव छोड़ दिया। इसके बाद कई वर्षो तक परिवार दहशत में रहा।



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