तिगरी गंगा मेले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। बुधवार तड़के चार बजे से ही गंगा स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। प्रशासन के अनुसार अब तक 36 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं।
महिला और पुरुष दोनों ही श्रद्धालु हर हर गंगे के जयघोष के साथ स्नान, दान और पूजन में लीन दिखे। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बड़ी संख्या में महिला व पुरुष पुलिसकर्मी घाटों और मुख्य मार्गों पर तैनात हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए दिल्ली हाईवे समेत प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त की गई है।

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तिगरी गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
पुलिस ने भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाते हुए उन्हें वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा है। वहीं मेले में बाइक सवारों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, ताकि भीड़ में किसी तरह की अव्यवस्था न हो। दोपहर बाद श्रद्धालुओं के लौटने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। प्रशासन की ओर से लगातार लाउडस्पीकर से दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

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तिगरी गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
दीपदान कर भर आईं आंखें
कार्तिक मास की चतुर्दशी पर मंगलवार शाम लाखों लोगों ने दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए गंगा में दीपदान किया। अपने संगे संबंधी और परिजनों से बिछड़े लोगों को याद कर परिजनों की आंखें भर आईं। इस परंपरा को निभाते वक्त गंगा घाट ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आकाश से तारे धरती पर उतर आए हों।

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तिगरी गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
दीयों की रोशनी से गंगा तट जगमगा उठा था। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। घाटों का माहौल गमगीन हो गया। दीपदान की यह प्रथा महाभारत काल से चली आ रही है। उधर, गंगा स्नान के लिए गंगा तिगरी मेले में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्थान बुधवार तड़के से शुरू हो गया।

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तिगरी गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
तिगरी धाम पर गंगा किनारे लगा ऐतिहासिक मेला 28 नवंबर से शुरू हो गया था जबकि विधिवत शुरुआत एक नवंबर को हवन पूजन के साथ हुई थी। मेले का बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर मुख्य स्नान के साथ समापन होगा। पिछले कई दिनों से लोग गंगा किनारे तंबू बनाकर रह रहे है जिससे में गंगा किनारे तंबुओं का शहर बस गया है।
