UP Budget 2025: Seeds will be cheaper from seed farms

– फोटो : amar ujala

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उत्तर प्रदेश के किसानों को अब लखनऊ में उपजाये गए बीज मिल सकेंगे। बृहस्पतिवार को प्रदेश के बजट में सरकार ने इसके लिए 250 करोड़ रुपये खर्च का खास प्रावधान किया। सीड्स फार्म पार्क बीज केंद्र की स्थापना मॉल स्थित अटारी फॉर्म में किए जाने के लिए भूमि चिह्नित की गई है। इस सीड्स फार्म पार्क में देश की बड़ी बीज कंपनियां आकर बीज की उपज करेंगी। पीपीपी मॉडल पर कंपनियों को सरकार पार्क उपलब्ध करवा रही है। कृषि विभाग के जानकार सरकार के इस कदम को क्रांतिकारी मान रहे हैं।

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अभी तक बड़ी बीज कंपनियां तेलंगाना, केरल आदि राज्यों में वैज्ञानिक विधि से बीज तैयार करती हैं और उसको देश भर में बेचती हैं। इन कंपनियों के उपजाये हुए बीज को यूपी के किसान भी लेते हैं। दूरी अधिक होने के कारण बीज की कीमतें ज्यादा हो जाती हैं। दूसरे, अन्य राज्यों की मिट्टी व जलवायु में तैयार बीज प्रदेश की जलवायु और किसानों के खेतों के कम अनुरूप होते हैं। इसी वजह से कई बार गुणवत्तापूर्ण बीज से भी आशा के अनुरूप उपज नहीं मिलती और किसानों का नुकसान हो जाता है।

बीज मृदा और जलवायु को होता है असर

सीड्स फार्म पार्क की स्थापना का प्रस्ताव कुछ समय पहले तैयार करने वाले पूर्व अपर निदेशक बीज व प्रक्षेत्र एके सिंह बताते है कि बीज के मामले में मृदा और जलवायु का खास असर होता है। इसी के मद्देनजर प्रदेश के किसानों को यहीं पर तैयार बीज देने का प्रारूप तैयार किया गया था, जिसे अब हरी झंडी मिल गई है। यहां तैयार होने वाले बीज किसानों के खेतों में अधिकतम उपज देंगे और अनाज की क्वाॅलिटी भी अच्छी होगी। बीज भी सस्ते होंगे। किसानों को फायदा होगा ही, क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। बीज के मामले में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।

बढ़ सकती है सीड्स फार्म पार्क की संख्या

कृषि विभाग के अधिकारी मानते हैं कि मुख्यमंत्री के थ्री ट्रिलियन इकॉनमी के सपने को पूरा करने के लिए बुंदेलखंड, तराई, पूर्वी और पश्चिमी यूपी में भी अगले कुछ समय में लखनऊ की तर्ज सीड्स फार्म पार्क स्थापित करने की योजना है। सीड्स फार्म पार्क में गेहूं, मूंग, अरहर, मटर, मक्का, धान सहित सभी जींस के बीज तैयार कराए जाएंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है बीज का उत्पादन

पारंपरिक खेती के दौरान प्रदेश के किसान अपने ही खेतों में सभी फसलों के बीज खुद ही तैयार करते रहे हैं। खपत को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों ने हाइब्रिड फसलों का उत्पादन शुरू किया तो इसमें बीज तैयार करने की संभावनाएं कम हो गईं। हाइब्रिड से फसल तो ली जाती है लेकिन किसान खुद बीज तैयार नहीं कर पाते। किसानों को हर बार नया बीज लेना पड़ता है। पुराने समय में किसान खुद ही अपनी फसलों से ही नए बीज तैयार कर लेते थे।

हर साल 35 लाख क्विंटल बीज खरीदते हैं यूपी के किसान

कृषि विभाग के आंकड़ों की माने तो प्रदेश में साल में सभी फसलों के सीजन में करीब 65 लाख क्विंटल बीज किसान प्रयोग करते हैं। इसमें से करीब 35 लाख क्विंटल बीज दूसरे प्रदेशों से खरीदा जाता है। जबकि यूपी में 45 क्विंटल बीज उत्पादन क्षमता है। यहां के करीब 15 लाख क्विंटल बीज की दूसरे प्रदेशों में खपत होती है। 30 लाख क्विंटल बीज ही किसान अपने प्रयोग में ला पाते हैं।

आत्मनिर्भरता की तरफ बड़ा कदम

अपर निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र एएन मिश्र का कहना है कि काफी संख्या में किसान फसल के लिए हाइब्रिड प्रजातियों की बोआई ही करते हैं। इस कारण उन्हें हर बाजार से बीज खरीदने पड़ते हैं। माॅल के अटारी फार्म में सीड्स फार्म पार्क खुलने बीज की कीमतें कम होंगी। हम अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी प्रजाति के बीज तैयार कर लेंगे। यह आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम होगा।






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