छठ पूजा के मौके पर रेलवे द्वारा चलाई गई स्पेशल ट्रेनों की संख्या पर यात्रियों की भीड़ बढ़ती नजर आई। तीन दिन में पांच हजार लोगों के टिकट वेटिंग में रह गए। इसके अलावा बृहस्पतिवार को पूर्वांचल की ओर जाने वाली ट्रेनों में खचाखच भीड़ रही। मुरादाबाद स्टेशन पर ट्रेनें रुकतीं तो लोग सीट पाने के लिए टूट पड़ते।
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छठ पर ट्रेनों में भारी भीड़
– फोटो : संवाद
स्थिति यह रही कि सीट तो छोड़िए ट्रेनों में प्रवेश करना भी चुनौती बन गया। शाम चार बजे श्रमजीवी एक्सप्रेस मुरादाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर रुकी। बिहार जाने वाले यात्री ट्रेन के शौचालय में बैठे नजर आए जिन्हें गेट पर जगह मिली वह वहीं बैठ गए। इसके बाद कोच के अंदर जाने के लिए भी रास्ता नहीं बचा।
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शाैचालय में यात्रा करना मजबूरी
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सीट पाने के लिए लोगों में बहस भी हुई लेकिन 10 मिनट रुककर ट्रेन रवाना हो गई। सामान्य से लेकर स्पेशल ट्रेनों की जनरल से एसी बोगियों तक अनारक्षित यात्री भरे दिखे। सप्तक्रांति एक्सप्रेस, गंगा सतलुज एक्सप्रेस, सत्याग्रह, जननायक, सियालदह समेत सभी ट्रेनों में ऐसी ही स्थिति रही। रेल प्रशासन का कहना है कि लोगों की सुविधा के लिए ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाए गए हैं। अनारक्षित यात्रियों को आरक्षित बोगियों से हटाने के लिए चेकिंग भी की जा रही है।
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मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर भीड़
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महंगे किराये के कारण स्पेशल ट्रेनों में कम सफर कर रहे यात्री
स्पेशल ट्रेनों में किराया महंगा होने के कारण ज्यादातर यात्री सामान्य ट्रेनों में ही सफर कर रहे हैं। बृहस्पतिवार को मुरादाबाद से गुजरने वाली कुछ ट्रेनों में कोच के दरवाजे से प्रवेश न मिलने पर लोग खिड़की से ट्रेन में घुसे। रेलवे ने डीआरएम के एक्स प्रोफाइल पर ट्रेनों में उपलब्ध सीटों की जानकारी साझा की है। हालांकि इनमें से कोई सीट छठ पूजा से पहले उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लखनऊ से शकूरबस्ती तक चलने वाली स्पेशल एक्सप्रेस में ही 24 अक्तूबर को सीटें खाली हैं।
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मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर भीड़
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भैयादूज पर रोडवेज पर उमड़ी भीड़, कम पड़ीं बसें
भैयादूज पर भाई के घर जाने के लिए बहनों को खूब मशक्कत झेलनी पड़ी। सुबह छह बजे के बाद से ही बस अड्डों पर यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी। यात्रियों की आवाजाही बढ़ते ही अतिरिक्त बसों को रवाना किया गया। साथ ही लोकल रूटों पर बसों के फेरे भी बढ़ा दिए गए। दो से तीन घंटे के बाद हालात सामान्य हुए। इसके बाद पूरे दिन यात्रियों की संख्या और रूट की मांग को देखते हुए बसों का संचालन किया गया।