Doctors of SN Medical College found in study ninety two percent asthma patients do not take regular medicines

Agra: विश्व अस्थमा दिवस 2023
– फोटो : iStock

विस्तार

उत्तर प्रदेश के आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग में दमा (अस्थमा) के 350 मरीजों पर अध्ययन हुआ है। इसमें पाया कि 92 फीसदी मरीज नियमित दवा नहीं लेते। हालत बिगड़ने पर ये चिकित्सक को दिखाने आए। महज आठ फीसदी मरीज ही दवाएं नियमित ले रहे हैं। इनमें मर्ज गंभीर नहीं बना।

वक्ष एवं क्षय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि ओपीडी में आने वाले दमा के 350 मरीजों पर 20 महीने तक अध्ययन किया। इसमें तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाई। पहली, बीमारी कब से है, ओपीडी में फॉलोअप कराने कितनी बार आए, दवा और इन्हेलर कब लिया, हालत में क्या अंतर मिला। इसमें पाया कि 330 मरीज ऐसे मिले, जिन्होंने दवा खाई और आराम मिलने के बाद दवा लेना बंद कर दिया। 90 फीसदी (325 मरीज) फॉलोअप में भी नहीं आए।

30-45 साल की उम्र के रहे सबसे ज्यादा मरीज

मौसम बदलने पर पुराने पर्चे पर दवा लेकर खा ली। जब अधिक खांसी हुई, सांस फूलने लगी, सीने में जकड़न और घर्र-घर्र की परेशानी बढ़ी तो ओपीडी में दिखाने आए। इनमें 30-45 साल की उम्र के सबसे ज्यादा मरीज रहे। महज आठ प्रतिशत (20 मरीज) मरीज ही नियमित दवाएं लेते रहे। वह चिकित्सक को तय दिन के बाद दिखाने भी आए।

क्या है दमा की बीमारी

दमा की बीमारी में सांस नलिकाएं सूजन के कारण संकुचित हो जाती हैं। ये धूल-धुआं, परागकण, डस्ट माइट पालतू जानवरों के रूसी समेत अन्य वजह से हो सकती हैं। सांस लेने में परेशानी होती है और फेफड़ों तक पर्याप्त हवा नहीं पहुंचती है।

ये हैं दमा के लक्षण

सांस लेते वक्त सीटी की आवाज आना, सीने में जकड़न और घर्र-घर्र की आवाज होना। हंसने-व्यायाम करने में खांसी उठना, सीने में जकड़न और सांस लेने में परेशानी। बार-बार गला साफ करने का मन होना। थकान होना।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *