Farmers were doing farming in submerged area of Yamuna Tehsil administration plowed standing crops

मौके पर पहुंची पुलिस
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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यमुना के डूब क्षेत्र में सरकारी भूमि पर खेती करने वाले किसानों पर सोमवार को प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की। किरावली तहसील के गांव सींगना और जुगसैना में खेतों में लहलहा रही गेहूं व सरसों की फसलें ट्रैक्टरों से जोत दी गईं। पहले दिन 25 हेक्टेयर भूमि को कब्जामुक्त कराया गया। कार्रवाई कई दिन चल सकती है। किसानों को पुलिस व पीएसी ने खेतों की ओर फटकने नहीं दिया।

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यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित होने के बाद प्रशासन को नदी किनारे की जमीनों को कब्जामुक्त कराना है। सींगना और जुगसैना में किसान लंबे समय से गेहूं, सरसों, आलू सहित कई तरह की फसलें कर रहे हैं। तहसील किरावली की राजस्व टीम ने पिछले दिनों 107 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर खड़ी फसलों का चिह्नांकन किया था।

सोमवार को एडीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह, एसडीएम किरावली राजेश गुप्ता, तहसील की टीमें और थाना सिकंदरा पुलिस व पीएसी के साथ पहुंचीं। पांच ट्रैक्टरों से खड़ी फसलों को हटाना शुरू किया गया। सुबह 11 बजे से कार्रवाई शुरू हुई। ट्रैक्टरों की संख्या कम होने से फसलों को नष्ट करने में देर लग रही थी। इस दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका पर पुलिस बल चारों तरफ लगा रहा।

लाहा की कटी फसल भी नष्ट की

प्रशासनिक टीमों ने खेतों में कटी पड़ी लाहा की फसल को भी किसानों को नहीं उठाने दिया। उसे भी नष्ट कर दिया। उपजिलाधिकारी किरावली राजेश कुमार ने बताया कि पहले दिन सोमवार को 25 हेक्टेयर भूमि मुक्त कराई है। शेष भूमि को मुक्त कराने की कार्रवाई जारी रहेगी। इस दौरान तहसीलदार देवेंद्र कुमार, नायब तहसीलदार चर्चिता गौतम, राजस्व निरीक्षक भगवान सिंह, राजस्व निरीक्षक संजय गुप्ता आदि मौजूद रहे।

विधानसभा समिति तक पहुंचा था मामला

यमुना के डूब क्षेत्र में किसानों के फसलों का उगाने का मामला विधानसभा की समिति के सामने भी रखा जा चुका है। इस भूमि को कब्जामुक्त कराने के लिए 10 साल से प्रयास किए जा रहे थे।

किसान बोले- हम कहीं के नहीं रहे

सींगना के किसान अतर सिंह का कहना था कि वह लंबे समय से डूब क्षेत्र में 8 बीघा में खेती कर रहे हैं। वर्ष 2023 में किरावली तहसील में 90500 रुपये जमा किए थे। वर्ष 2024 में बाढ़ के कारण खेती नहीं हुई तो जमा नहीं किया। अब तहसील की टीम ने आठ बीघा में उनकी गेहूं व सरसों की फसलें नष्ट कर दीं। सालभर की मेहनत खराब हो गई। तीन लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। यही बातें अन्य किसानों ने बताईं। उन्होंने कहा कि हम लोग तो कहीं के नहीं रहे।



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