झांसी। शहर के भैरव खिड़की मोहल्ला में रहने वाले वीरेंद्र कुमार रोजाना की तरह सुबह साढ़े छह बजे सोकर उठे तो पता चला कि रात की गई बिजली अब तक नहीं आई है। बच्चों को स्कूल जाना था लेकिन पानी न होने से वह तैयार नहीं हो सके थे। ऐसे में वीरेंद्र ने आंखों को मलते हुए बाल्टी उठाई और घर के पास लगे हैंडपंप पर पहुंच गए, लेकिन वहां भी लंबी कतार थी। किसी तरह समस्याओं से जूझते हुए उन्होंने घर तक पानी पहुंचाया। तब बच्चे तैयार हुए करीब 15 मिनट देरी से स्कूल पहुंच सके। वीरेंद्र मेडिकल स्टोर चलाते हैं लेकिन पानी के संकट के कारण वह भी दोपहर तक दुकान नहीं खोलने जा सके। शनिवार सुबह आंख खोलते ही ऐसी समस्या से सिर्फ वीरेंद्र का नहीं बल्कि शहर के ज्यादातर लोगों का सामना हुआ। शुक्रवार की शाम आठ बजे आंधी-पानी से गुल हुई आधे शहर की बिजली शनिवार की सुबह तक नहीं आई। ऐसे में शनिवार की सुबह अमर उजाला की टीम जब बिजली-पानी के संकट से जूझते लोगों का हाल जानने पहुंची तो लोग खाली बाल्टी लटकाए यहां-वहां परेशान दौड़ते नजर आए। लोगों ने कहा कि सुबह चार बजे जैसे-तैसे बिजली के दर्शन हुए लेकिन कुछ ही देर बाद फिर से गुल हो गई।

सीन-1

स्थान- जल संस्थान कार्यालय, फिल्टर रोड

बिना बिजली के खाली खड़े रहे टैंकर

इलाके में बिजली न आने और जलापूर्ति ठप होने से टैंकर पानी लेने के लिए कार्यालय के बाहर कतार लगाए दिखे। दोपहर करीब एक बजे जब टैंकरों को पानी मिलना शुरू हुआ तो उन्होंने प्रभावित इलाकों की ओर दौड़ लगानी शुरू की। पानी का संकट इस कदर था कि 30 टैंकरों को शहर में 22 स्थानों तक पानी पहुंचाने के लिए 400 चक्कर लगाने पड़े।

सीन-2

स्थान- उन्नाव गेट

टैंकर पहुंचते ही पानी भरने के लिए उमड़ी भीड़

क्षेत्र में दोपहर करीब 12 बजे जैसे ही पानी से भरा टैंकर पहुंचा लोग बाल्टी और डिब्बा लेकर पानी लेने उमड़ पड़े। बड़ों का हाथ बंटाने के लिए छोटे-छोटे बच्चे भी पानी ढोते दिखे। लोगों का कहना था कि रात भर बिजली न होने के कारण करवट बदलते रहे। सुबह उठते ही पानी के लिए संघर्ष करना पड़ा। बिजली-पानी के बिना लोग कैसे रहते हैं, कोई अधिकारी या नेता पूछने नहीं आता।

सीन-3

स्थान- भांडेरी गेट

चार टैंकर भी नहीं बुझा पाए प्यास

दोपहर करीब दो बजे तक इस इलाके में चार टैंकर पानी पहुंचा चुके थे लेकिन इसके बाद भी कई लोग ऐसे थे जिन्हें रोजमर्रा के कामों के लिए पानी की दरकार थी। घर के बाहर खाली डिब्बे कतार में रखे थे और महिलाएं घर के बाहर टैंकर के आने के इंतजार में थीं। करीब एक घंटे के इंतजार के बाद टैंकर आया तो यहां भी पानी लेने के लिए लोग टूट पड़े।

सीन-4

स्थान- भैरव खिड़की

बड़े थक गए तो हैंडपंप से बच्चों ने भरा पानी

इस इलाके में जल संस्थान सुबह और शाम जलापूर्ति करता है लेकिन करीब दो से ढाई घंटे के लिए। सुबह बिजली न होने के कारण जलापूर्ति नहीं हो सकी। ऐसे में मोहल्ले में लगा एक मात्र हैंडपंप ही सहारा बन गया। बड़े जब पानी भरते-भरते थक गए तो बच्चों को जुटना पड़ा। लोगों ने कहा कि जरा सी आंधी-बारिश में हमेशा ऐसे ही बिजली गुल हो जाती है।

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कंट्रोल रूम में बजता रहा फोन…पानी के टैंकर भेज दीजिए

झांसी। आंधी-बारिश के कारण शनिवार तड़के चार बजे तक बिजली गुल रहने से पानी का संकट खड़ा हुआ तो लोगों ने जल संस्थान के कंट्रोल रूम में फोन करके पानी का टैंकर भेजने की गुहार लगाई। पानी के लिए दिन में कई मुहल्लों से टैंकर भेजने की गुहार लगाई गई। शारदा नगर निवासी आदिश ने पानी न आने की शिकायत की । वहीं, मसीहागंज निवासी दिनेश कुमार ने हैंडपंप खराब होने से पानी का संकट होने की शिकायत की। वहीं, तालपुरा, आंबेडकर नगर, ब्रह्मनगर, बड़ागांव गेट बाहर, मद्रासी कॉलोनी, डडियापुरा में पानी न आने की शिकायत की गई, इसके बाद इन इलाकों में टैंकरों से सप्लाई कराई गई।

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बोले लोग…

रात भर बिजली न होने से सो नहीं सके। सुबह कुछ देर बिजली रही और फिर चली गई। किसी तरह बच्चों को स्कूल भेज सकीं।

रेखा शाक्य, अयोध्यापुरी

सुबह पांच बजे से मोहल्ले में पानी के लिए मारामारी मची है। टैंकर का ही पूरे दिन सहारा रहा। काम पर भी नहीं जा पाया।

लालू, उन्नाव गेट

पूरे दिन जलापूर्ति नहीं हुई। जो पानी बचा था उससे ही सुबह काम चला। बाद में हैंडपंप से पानी भरकर रोजमर्रा के काम निपटाए।

नंदनी साहू, भैरव खिड़की

बच्चों को सुबह कोचिंग जाना था, लेकिन पानी न होने के कारण उन्हें देरी हुई। इस कारण से बच्चों की छुट्टी करनी पड़ी।

सुंदरलाल लिखार, भैरव खिड़की



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