संभल बवाल की साजिश का राजफाश करने के लिए एसआईटी ने मेटा से डाटा मांगा था लेकिन अभी पुलिस को यह डाटा नहीं मिला है। फिलहाल पुलिस सोशल मीडिया के उस डाटा पर काम कर रही है जो आरोपियों से बरामद हुए मोबाइल से मिला था या डिलीट हो चुका है।

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डिलीट हो चुके डाटा को एक्सपर्ट से रिकवर कराया जा रहा है। जिससे बवाल की साजिश का राजफाश हो सके। यह छानबीन उस मुकदमे में की जा रही है जिसमें सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद का बेटा सुहेल इकबाल आरोपी हैं। जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट की भूमिका भी इसी मुकदमे में मिली है।

उनकी गिरफ्तारी हो चुकी है। 24 नवंबर को जामा मस्जिद सर्वे के दौरान जो बवाल हुआ, उसकी साजिश किसने रची। यह जानकारी पुलिस को नहीं हो सकी है। इस राज को खोलने के लिए पुलिस की एसआईटी काम कर रही है। 23 नवंबर की देर रात से 24 नवंबर की दोपहर तक सोशल मीडिया पर क्या गतिविधियां रही हैं।

इस जानकारी के लिए मेटा से डाटा पुलिस ने मांगा है। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई का कहना है कि मेटा से डाटा मांगा गया है लेकिन डाटा नहीं मिला है। जो डाटा टीम ने व्हाट्स ग्रुप से बरामद किया था। उसकी छानबीन की जा रही है। जिससे बवाल की साजिश का राजफाश हो सके। 

कई ऐसे तथ्य प्रकाश में आए हैं जो बवाल की साजिश से जुड़े हैं। जांच पड़ताल अभी जारी है। आगे जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जानी है।

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