Turmeric will save life when antibiotics become ineffective.

– फोटो : amar ujala

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आईसीयू में भर्ती मरीजों की सबसे ज्यादा मौत संक्रमण व एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता बनने से होती है। ऐसे में हल्दी कारगर साबित होगी। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन पदार्थ दवा प्रतिरोध क्षमता को प्रभावित करने के साथ संक्रमण को भी खत्म करता है।

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सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के साझा अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है, जो माइक्रोबायल ड्रग रेजिस्टेंट के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। आईसीयू के ऐसे मरीजों को इस अध्ययन में शामिल किया गया, जो मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (बैक्टीरिया का समूह) की चपेट में थे। इससे त्वचा, फेफड़ों में संक्रमण पैदा होता है। यह बैक्टीरिया कई दवाओं से प्रतिरोध क्षमता विकसित कर लेता है। वैनकोमाइसिन इंजेक्शन इसके लिए मानक एंटीबायोटिक इलाज है।

मल्टीड्रग-प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के कारण यह इंजेक्शन भी बैक्टीरिया पर बेअसर होने लगा है। इसके लिए नए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसे ध्यान में रखकर किए अध्ययन के दौरान हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन के प्रभाव का आकलन किया गया। पाया गया कि इसमें बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी क्षमता है। यह अध्ययन अनुपमा गुलेरिया, निदा फातिमा, अनुज शुक्ला, डॉ. रितु राज, चिन्मय साहू, नारायण प्रसाद, आशुतोष पाठक और दिनेश कुमार ने किया।

इंजेक्शन के साथ जांचा गया प्रभाव

अध्ययन में शोरबा माइक्रोडिल्यूशन विधि का इस्तेमाल करते हुए वैनकोमाइसिन इंजेक्शन के साथ संयुक्त करक्यूमिन के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया। शोरबा माइक्रोडिल्यूशन विधि का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवों की एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति संवेदनशीलता का परीक्षण करने के लिए होता है। 

करक्यूमिन की वजह से वैनकोमाइसिन ने बैक्टीरिया के खिलाफ 20 में से 17 उपभेदों में व्यापक प्रभाव दिखाया। ऐसे में करक्यूमिन-वैनकोमाइसिन संयोजन चिकित्सा संक्रमण के लिए प्रभावी इलाज बन सकता है। मेडिकल जर्नल लैंसेट के अनुसार वर्ष 2019 में देश में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण से तीन लाख मौतें हुईं। संक्रमण से हर साल करीब 60 हजार बच्चों की जान जाती है।



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