मुरादाबाद जिले में सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा देखा जा रहा है। जिला अस्पताल और निजी चिकित्सालयों में पिछले तीन दिन से खांसी, सांस फूलना और गले में जलन की शिकायत लेकर मरीज पहुंच रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा अधिकृत समीर एप पर एक्यूआई का आंकड़ा लगातार सुधर रहा है।
विभाग के मुताबिक दिवाली की देररात भी जिले का एक्यूआई 292 रहा। जबकि समीर एप पर ही शहर के कुछ इलाकों में एक्यूआई 464 तक पहुंचा था। बाद में एप से 24 घंटे का डाटा अचानक गायब हो गया। बृहस्पतिवार को मुरादाबाद का एक्यूआई 166 दर्ज किया गया है। वास्तविक स्थिति यह है कि खराब हवा के कारण सांस के मरीजों की तादाद 20-25 प्रतिशत बढ़ गई है।

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मुरादाबाद में दिवाली पर जलाए गए पटाखे
– फोटो : संवाद
त्योहार के बावजूद जिला अस्पताल की ओपीडी में दो दिन में 50 नए मरीज पहुंचे। जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या 30-32 तक रहती है। डॉक्टरों का मानना है कि मौसमी बदलाव, वायरल संक्रमण और धूल-मिट्टी के कण इस समस्या के प्रमुख कारण हो सकते हैं। जिला अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सांस के मरीजों का आगमन बढ़ा है। धीरे-धीरे यह संख्या और बढ़ सकती है।

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मुरादाबाद में दिवाली पर जलाए गए पटाखे
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आईएमए के अध्यक्ष फिजिशियन डॉ. सीपी सिंह कहते हैं कि सांस के मरीजों की दिक्कत अचानक बढ़ गई है। बृहस्पतिवार को ओपीडी में कई मरीज आए। कुछ मरीजों को इंजेक्टेबल देना पड़ा है। ज्यादातर मामले बच्चों और बुजुर्गों के हैं, जिनमें ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के लक्षण प्रमुख हैं। हवा के साथ आने वाली धूल और एलर्जी कारक समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं।

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मुरादाबाद में दिवाली पर जलाए गए पटाखे
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डॉक्टरों ने मरीजों को मास्क पहनने, घर पर ही व्यायाम करने और दवाओं का नियमित सेवन करने की सलाह दी है। चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. अमोल चंद्रा ने कहा कि दिवाली के बाद खराब हवा और ठंडक ने लोगों की इम्यूनिटी को प्रभावित किया है। सांस के पुराने मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

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इमरजेंसी में रोजाना भर्ती हो रहे पांच मरीज
जिला अस्पताल में इमरजेंसी रजिस्टर के मुताबिक पिछले चार दिन से रोजाना पांच मरीज ऐसे भर्ती हो रहे हैं, जिन्हें सांस से संबंधित परेशानी है। कुछ मरीजों को सारी वार्ड में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। बृहस्पतिवार को ऐसे चार मरीज भर्ती थे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सारी वार्ड में के आईसीयू की सुविधा भी है। जरूरत पड़ने पर मरीज को सीपैप व एचएफएनसी मशीनों के जरिए उपचार दिया जा सकता है।
