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शव आने के बाद कुरौली गांव में लगी लोगों की भीड़। – फोटो : संवाद
कुठौंद। सिरसाकलार थाना क्षेत्र के टिकरी गांव निवासी कुसमा की शादी पिता डरू व परिजनों ने कुठौंद थाना क्षेत्र के कुरौली गांव निवासी केदार के साथ कर दी थी। लेकिन कुसमा मन ही मन गांव के ही माधव से प्यार करती थी। एक दिन विक्रम मल्लाह गैंग के साथ माधव आया और 1978 में रात में कुसमा को जबरन उठाकर ले गया।
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केदार ने कई बार कुसमा से संपर्क करना चाहा,लेकिन वह नहीं मिली। करीब 20 वर्ष बाद कुसमा केदार से मिली और उससे दूसरी शादी करने की बात कही। कुसमा ने ही कुंती नामक लड़की से केदार की शादी करा दी थी और वह बीहड़ के क्षेत्र में स्वतंत्र होकर कूद पड़ी थी। केदार को कुंती से तीन लड़के शैलेंद्र, रविंद्र व लाली हुए।
2004 में जब कुसमा ने फक्कड़ बाबा के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, तब केदार व परिजन इटावा जेल में कुसमा से मिलने जाते थे। करीब 15 दिन पहले बड़े बेटे शैलेंद्र को जानकारी मिली कि कुसमा की तबीयत ज्यादा खराब है। शैलेंद्र लखनऊ चला गया और वह वर्तमान में भी वहीं था। शनिवार की रात कुसमा की मौत हो गई।
रविवार की शाम उसका शव जैसे ही गांव पहुंचा तो लोगों की भीड़ जमा हो गई। गांव में भारी पुलिस बल तैनात हो गया। लोगों का कहना है कि कुसमा आज से 47 वर्ष पहले अगवा करके गई थी। लेकिन जब लौटी तो वह कफन में लौटी। रात हो जाने की वजह से उनका अंतिम संस्कार सोमवार को होगा।
चचेरी बहन के लड़के का ही कर लिया था अपहरण
कुठौंद। चचेरे भाई चार बार ग्राम प्रधान रहे रामजी सिंह ने बताया कि उसके पिता कढ़ोरे व डरू आपस में भाई थे। 1995 में जब वह प्रधान बने तो इसी दौरान कुसमा के पिता को कैंसर हो गया। लेकिन विपक्षियों ने कुसमा को झूठी जानकारी दे दी कि रामजी ने डरू को जहर पिला दिया है। इससे उनकी हालत बिगड़ गई है। पिता की मौत होने के बाद कुसमा एकदम से पगला गई और रामजी को अपने दुश्मन मानने लगी। इसी दौरान उसने अपनी चचेरी बहन रायपुर मडैया गांव निवासी कलमा के बेटे मनोज का अपहरण कर लिया। इसकी जानकारी जब रामजी को लगी तो उसने कई बार कुसमा से संपर्क करने का प्रयास किया। करीब डेढ़ वर्ष के बाद उसे मार दिया।
छह माह पहले परिजनों को पुलिस ने दी थी तबीयत खराब होने की जानकारी
कुठौंद। इटावा जेल में बंद कुसमा की तबीयत खराब होने पर उसे सैफई मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। इस पर उसने अपने परिजनों से मिलने की इच्छा जताई थी। इस पर सिरसाकलार थाने से रामजी के पास भी फोन आया था। लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। ज्यादा हालत खराब होने पर उसे लखनऊ भेज दिया गया था।
आठ साल विक्रम व सोलह साल फक्कड़ के साथ रही कुसमा
कुठौंद। कुरौली गांव से अगुवा करके बीहड़ ले जाई गई कुसमा सबसे पहले माधव के माध्यम से विक्रम मल्लाह गिरोह से मिल गई। इसके बाद वह करीब आठ वर्ष तक इस गिरोह में रही। विक्रम की मौत हो जाने के बाद वह लालाराम के संपर्क में आई और कुछ दिन के बाद वह रामआसरे उर्फ फक्कड़ के संपर्क में आ गई और सोलह साल तक बीहड़ में राज करती रही। वह इटावा के साथ साथ कानपुर व अन्य जेलों में भी रही।