
बटालियन के जवानों से गले लगकर रोती बलिदानी की मां
– फोटो : संवाद
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बलिदानी मां पुष्पा देवी बार बार अपने लाल को देखने की जिद में ताबूत के पास जा रही थी, तो साथ में आए बटालियन के जवानों ने मां को संभाला। बटालियन के जवानों ने गले लगाकर बोला कि मैया, हम भी तेरे लाल हैं, खुद को संभालों। हम हमेशा तेरे साथ हैं।
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गांव में बलिदानी सुभाष कुमार की पार्थिव देह के पहुंचते ही हर आंख नम थी। हर आंख में आंसू झलक रहे थे। जिन आंखों में आंसू थे, वह खुद के साथ-साथ सुभाष के परिजनों को संभालने में जुटे हुए थे। इधर, गांव में बलिदानी की बहादुरी के किस्से भी हर जुबां पर थे। सुभाष की मां अपने बेटे के पार्थिव शरीर को देखने के लिए बार जा रही थी।
मां कह रही थी कि बस मुझे मेरे बेटे से दूर मत करो, यह सुनकर पार्थिव शरीर को लेकर आए जवानों ने सुभाष की मां को गले लगा लिया। जवान बोले , मैया, हम भी तो तेरे लाल हैं…। खुद को संभालों, तुम्हारा बेटा बहुत बहादुर था। हम हमेशा तेरे साथ हैं। कभी भी कोई जरुरत हो तो हमें याद कर लेना। हम सब तेरे लाल हैं। खुद को अकेला मत समझना। जवानों ने गले लगाकर सुभाष की मां को ढ़ांढस बंधाया। इधर जवानों की आंखें भी इस मंजर को देखकर नम थीं।
ग्रामीण बोले, हमारे तो गांव का नाम रोशन कर गयो लाला
ग्रामीणों की जुबां पर बस यही था कि हमारे तो गांव को नाम रोशन कर गयो लाला। इस लाल की वजह से आज हमारे गांव को नाम पूरे देश में जाना जा रहा है। इस लाल ने तो ऐसा काम कर दिया कि आने वाली कई पीढ़ियों को देश भक्ति की भाषा बयां कर गया है। ग्रामीणों का कहना था कि इस बच्चे में तो शुरू से ही देश के प्रति प्रेम भाव था। बहुत ही कम उम्र में देश की सेवा से जुड़ गया और इतनी कम अवधि में दुश्मनों को मुंह तोड़ जबाव देकर ही इस संसार से विदा ली है। हमारे गांव से कई लोग सेना में हैं। ग्रामीणों का कहना था कि सुभाष की शहादत गांव के युवाओं के लिए मिसाल होगी। यह शहादत इन युवाओं में देश सेवा का जोश भरेगी।