Changed method of ranking of public hearing now call will expose fake settlement

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
– फोटो : amar ujala

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई और समाधान के लिए आईजीआरएस पोर्टल बनाया था। जिसे सूबे में गुड गवर्नेंस का आधार माना जा रहा था। धरातल पर हकीकत अलग है। तहसील, कलेक्ट्रेट से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल व हेल्पलाइन के माध्यम से हर माह जिले में करीब 12 हजार शिकायत दर्ज होती हैं। जिनका बड़े पैमाने पर फर्जी निस्तारण होता है।

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घर बैठे फर्जी आख्या लगाई जा रही हैं। शासन स्तर से जब फीडबैक लिया जाता है, तब यह पोल खुलती है। जिसका खामियाजा जिलाधिकारी को उठाना पड़ता है। डीएम की रैंकिंग खराब होती है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जवाब-तलब होता है। जिसके बाद एक तरफ डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी नियमित जनसुनवाई की समीक्षा कर रहे हैं। पिछले एक महीने में 20 से अधिक अधिकारियों का वेतन रोका जा चुका है। 50 से अधिक को नोटिस जारी किए हैं।

विभागाध्यक्षों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की गई है। दूसरी तरफ शासन ने अब रैंकिंग का तरीका भी बदल दिया है। नए तरीके से रैंकिंग होने पर जिले की स्थिति और खराब हो सकती है। नई रैंकिंग व्यवस्था के तहत अब जिस विभाग से संबंधित शिकायत है, उसके विभागाध्यक्ष को शिकायतकर्ता से कॉल कर संपर्क कर अनिवार्य हो गया है। यदि कॉल से संपर्क नहीं किया और शिकायतकर्ता ने यह बात फीडबैक कही तो संबंधित अधिकारी की शामत आएगी। माना जाएगा कि शिकायत का फर्जी निस्तारण हुआ है। ऐसे में फीडबैक को नेगेटिव मानते हुए अंक कटेंगे। इसी तरह जिन नेगेटिव फीडबैक का डीएम, डीसीपी या अन्य विभागध्यक्ष स्पेशल क्लॉज का हवाला देकर निस्तारित दर्शाते थे। उन्हें भी अब नेगेटिव फीडबैक मानते हुए अंक कटेंगे।

कॉल करना अनिवार्य

एडीएम प्रोटोकॉल व नोडल अधिकारी जनसुनवाई प्रशांत तिवारी ने बताया कि शासन ने रैंकिंग का तरीका बदल दिया है। शिकायतकर्ता को कॉल अनिवार्य किया है। स्पेशल क्लॉज पर भी अंक कटेंगे। – , 

 



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