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कुसुमा नाइन की फाइल फोटो। – फोटो : संवाद
उरई/रामपुरा। इटावा जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही पचनद के जंगलों की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन की लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। उस पर हत्या सहित 35 मामले दर्ज थे।
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सिरसाकलार थाना क्षेत्र के टिकरी गांव निवासी डरू नाई की पुत्री कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में हुआ था। उसके पिता गांव के ग्राम प्रधान थे। चाचा गांव में सरकारी राशन के कोटे की दुकान चलाते थे। वह इकलौती संतान होने के चलते परिवार उसे बड़े लाड़ प्यार से पाल रहे थे। लेकिन जब वह 13 साल की हुई तो उसे पड़ोसी माधव मल्लाह से प्रेम प्रसंग हो गया और वह उसके साथ चली गई। करीब दो साल तक उसका कोई पता नहीं चला।
इसके बाद उसने अपने पिता डरू को चिट्ठी लिखी कि वह दिल्ली के मंगौलपुरी में माधव के साथ है। तब पिता दिल्ली पुलिस के साथ पहुंचे और उसे घर ले आए। इसके बाद पिता ने उसकी शादी कुरौली गांव निवासी केदार नाई के साथ कर दी। चूंकि माधव कुसुमा से प्रेम करता था तो उसने यह बात अपने रिश्तेदार डकैत विक्रम मल्लाह को बताई।
इस पर विक्रम मल्लाह माधव को लेकर गैंग के साथियों के साथ कुसुमा की ससुराल पहुंचा और कुसुमा को अगवा कर लिया। इसके बाद वह माधव के साथ विक्रम गैंग में शामिल हो गई। विक्रम और फूलन देवी एक ही गैंग में काम करते थे, इससे कुसुमा के आने से उनमें विवाद होने लगा। इस पर कुसुमा को दस्यु लालाराम को मारने को कहा गया। लेकिन कुसुमा ने उसे नहीं मारा और वह लालाराम की गैंग में शामिल हो गई।
इसके बाद उसने वर्ष 1984 में कानपुर देहात के आस्ता गांव की घटना को अंजाम दिया। इसमें 15 लोगों की हत्या की गई और एक महिला और उसके बच्चे को जिंदा जला दिया गया। इसके बाद वह डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ बाबा के संपर्क में आ गई। 2004 में कुसुमा और उनके साथी फक्कड़ बाबा ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। इसके बाद वह जेल में पुजारिन बन गईं और कैदियों को रामायण पढ़ाने लगीं।
इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही कुसुमा की हालत बिगड़ने पर उसे लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां शनिवार की रात उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। वह 61 वर्ष की थी। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 35 से अधिक मामले दर्ज थे, जिसमें हत्या, लूट, और अपहरण शामिल हैं।