Former BSP MLA will not be released prematurely in engineer murder case Governor rejects petitioncity

जेल में बंद (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : iStock

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यूपी की राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित इंजीनियर मनोज कुमार गुप्ता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व बसपा विधायक शेखर तिवारी की समयपूर्व रिहाई नहीं होगी। राज्यपाल ने उनकी समयपूर्व रिहाई की याचिका को नामंजूर कर दिया है, जिसके बाद शासन ने इसका आदेश जारी कर दिया है। पूर्व विधायक के अलावा घटना में शामिल उसके साथी देवेंद्र राजपूत और रामबाबू की याचिका भी नामंजूर हो गई है।

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बता दें कि 24 दिसंबर 2008 को औरैया के तत्कालीन बसपा विधायक शेखर तिवारी ने अपने नौ अन्य साथियों के साथ मिलकर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार गुप्ता का अपहरण करने के बाद उनकी पीटकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद राजधानी की अदालत ने उन्हें 6 मई 2011 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

वहीं हाईकोर्ट ने 23 फरवरी 2015 के अपने आदेश में निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा था। शेखर तिवारी की ओर से 23 फरवरी 2024 तक करीब 15 वर्ष की सजा काटी जा चुकी थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बंदियों को रिहा करने की प्रक्रिया के तहत शेखर तिवारी के बारे में औरैया के जिला प्रोबेशन अधिकारी, एसपी और जिला मजिस्ट्रेट से शासन ने आख्या मांगी गई थी, जिसमें उनकी रिहाई की संस्तुति नहीं की गई है। 

प्रोबेशन बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अवैध वसूली एवं बिल का भुगतान नहीं करने की रंजिश को लेकर शेखर तिवारी ने अपने साथियों के साथ इंजीनियर की पीटकर हत्या करने का जघन्य अपराध किया था। अपराध की गंभीरता को देखते हुए उनकी रिहाई की संस्तुति नहीं की जा सकती है।

पत्नी को भी हुई थी सजा

इस हाईप्रोफाइल मामले में शेखर तिवारी के साथ उनकी पत्नी को भी सुबूत नष्ट करने के आरोप में दो वर्ष की सजा हुई थी। इस मामले में दिबियापुर थाने के तत्कालीन निरीक्षक होशियार सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। चर्चा यह भी थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन समारोह का चंदा नहीं देने की वजह से इंजीनियर को बंधक बनाकर पीटा गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। बीते वर्ष शेखर तिवारी को हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।



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